Technology में कहां है तुर्की ? बढ़ती ताकत या दिखावटी दम?

तुर्की अब सिर्फ पर्यटकों के लिए नहीं, दुनिया की रक्षा तकनीक में तेजी से उभरते खिलाड़ी के तौर पर चर्चा में है। खासतौर पर तब जब उसने पाकिस्तान को मिसाइल और डिफेंस सिस्टम देने की शुरुआत कर दी है। सवाल ये उठता है – क्या तुर्की वाकई एक सशक्त सैन्य ताकत है या सिर्फ हथियारों की दलाली करने वाला देश बनता जा रहा है?
नीचे विस्तार से जानिए कि तुर्की के पास कौन-कौन से हथियार हैं, उनमें कितना दम है और वह कितनी हद तक आत्मनिर्भर है।
तुर्की की मिसाइल तकनीक – अपने दम पर तैयार या बाहरी सहारे पर खड़ी?
अत्माका (Atmaca)
समुद्री युद्ध के लिए बनी ये क्रूज मिसाइल दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाती है। इसकी रेंज 250 से 400 किलोमीटर तक मानी जाती है। यह अमेरिका की हार्पून मिसाइल को टक्कर देने की कोशिश है, लेकिन इसकी ऑपरेशनल परफॉर्मेंस अब तक सीमित रही है।
SOM मिसाइल
यह हवा से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे फाइटर जेट से दागा जाता है। इसकी रेंज 180 किलोमीटर है। इसका डिज़ाइन तुर्की और अमेरिका के सहयोग से विकसित हुआ था, लेकिन अब तुर्की इसे पूरी तरह स्वदेशी बताता है।
Gokdogan और Bozdogan
ये हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं। तुर्की इन्हें अपने घरेलू प्रोजेक्ट के तहत विकसित कर रहा है। ये दुश्मन के फाइटर जेट्स को हवा में ही खत्म करने की क्षमता रखती हैं, लेकिन अभी इनका इस्तेमाल सीमित स्तर पर हुआ है।
ड्रोन युद्ध में तुर्की की एंट्री – नए खिलाड़ी, नई चाल
Bayraktar TB2
तुर्की का सबसे चर्चित और निर्यात होने वाला ड्रोन। यह मध्यम ऊंचाई पर लंबी दूरी तक उड़ सकता है और सटीक हमला करने में सक्षम है। इसे यूक्रेन और अजरबैजान में युद्ध के मैदान पर इस्तेमाल किया जा चुका है। इसने तुर्की को ‘ड्रोन सुपरपावर’ की छवि दिलाने की शुरुआत की।
Akinci Drone
यह Bayraktar का बड़ा और ज्यादा खतरनाक संस्करण है। यह भारी हथियार ले जाने में सक्षम है और इसकी मारक क्षमता पहले से कहीं अधिक है। यह तुर्की की स्वदेशी ड्रोन क्षमताओं का प्रतीक बनता जा रहा है।
डिफेंस सिस्टम – अपनी सुरक्षा खुद या उधारी की ढाल?
S-400 डील
तुर्की ने रूस से 2.5 अरब डॉलर की डील में S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है। यही सिस्टम भारत के पास भी है। यह दुश्मन की मिसाइलों और फाइटर जेट्स को हवा में ही नष्ट कर देता है। लेकिन इस डील के कारण अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिए। इससे साफ हो गया कि तुर्की आज भी कुछ मामलों में आत्मनिर्भर नहीं है।
HISAR डिफेंस सिस्टम
तुर्की अब खुद भी अपने एयर डिफेंस सिस्टम HISAR पर काम कर रहा है। यह दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को रोकने के लिए तैयार किया जा रहा है। यह तुर्की के आत्मनिर्भरता के सफर की एक अहम कड़ी है, लेकिन इसे अभी पूरी तरह ऑपरेशनल होने में वक्त लगेगा।
तुर्की ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में तेज़ी से विकास किया है। वह अब हथियार सिर्फ खरीद नहीं रहा, बल्कि खुद बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। लेकिन उसकी अधिकांश उन्नति अभी शुरुआती चरण में है। S-400 जैसे सिस्टम अब भी रूस से लिए जा रहे हैं। यानी तुर्की की ताकत का बड़ा हिस्सा अब भी बाहरी स्रोतों पर निर्भर है।
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