डीएपी छोड़ो, टीएसपी अपनाओ, फसल में बरकत पाओ

आज के समय में किसानों का रुझान अधिकतर डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की ओर होता जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो टीएसपी (ट्रिपल सुपर फॉस्फेट) खाद का उपयोग कई मामलों में ज्यादा लाभकारी साबित हो सकता है। जहां डीएपी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों मौजूद होते हैं, वहीं टीएसपी केवल फॉस्फोरस की पूर्ति करता है, जो फसलों की प्रारंभिक वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है।

क्या है टीएसपी खाद?

टीएसपी (Triple Super Phosphate) एक सिंगल न्यूट्रिएंट वाला उर्वरक है जिसमें लगभग 46% फॉस्फोरस (P₂O₅) की मात्रा होती है। यह फॉस्फोरस का एक उच्च गुणवत्ता वाला स्रोत है, जो मिट्टी में तुरंत घुलकर पौधों की जड़ों तक पहुंचता है।

टीएसपी के लाभ:

शुद्ध फॉस्फोरस की आपूर्ति:
जिन क्षेत्रों की मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी नहीं है, वहां टीएसपी सबसे बेहतर विकल्प है।

फसलों की जड़ों को मजबूती:
फॉस्फोरस पौधों की जड़ों के विकास में सहायक होता है, जिससे पौधे अधिक पोषण लेने में सक्षम होते हैं।

उच्च उत्पादन:
सही मात्रा में टीएसपी का उपयोग करने से फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों में बढ़ोतरी होती है।

लागत में कमी:
डीएपी की तुलना में टीएसपी सस्ता होने के कारण किसानों की लागत घटती है।

कब करें टीएसपी का उपयोग?

फसल की बुआई से पहले मिट्टी जांच अवश्य करवाएं।
यदि मिट्टी में नाइट्रोजन पर्याप्त मात्रा में मौजूद है, तो डीएपी की जगह टीएसपी का उपयोग करें।
गेहूं, चना, मटर, सरसों, दलहनी व तिलहनी फसलों में टीएसपी अत्यधिक लाभकारी होता है।

उपयोग की विधि:

प्रति एकड़ 50 से 60 किलो टीएसपी का छिड़काव बुआई से पहले मिट्टी में मिलाएं।
बेहतर परिणाम के लिए टीएसपी को कंपोस्ट या गोबर की खाद के साथ मिलाकर उपयोग करें।

टीएसपी एक सस्ता, प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल उर्वरक है, जो खासकर उन किसानों के लिए फायदेमंद है जिनकी भूमि में नाइट्रोजन की कोई कमी नहीं है। सही जानकारी और संतुलित उपयोग से किसान न केवल लागत में कमी ला सकते हैं, बल्कि उत्पादन में भी आश्चर्यजनक बढ़ोतरी कर सकते हैं

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