यूपी का उपचुनाव CM योगी और अखिलेश के लिए होगा लिटमस टेस्ट
लोकसभा चुनाव का रण खत्म हो गया है और अब बारी है यूपी में उपचुनाव की...जी हां उत्तर प्रदेश में खाली पड़ी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं...उपचुनाव में सभी राजनीतिक दलों की अग्नि परीक्षा होनी है...पहली बार इतनी अधिक सीटों पर एक साथ उपचुनाव होने जा रहे हैं..सभी राजनीतिक दल अपना दमखम दिखाने के लिए तैयारियों में जुट गए हैं..जहां लोकसभा के चुनावी नतीजों ने बीजेपी को ऐसा जख्म दिया है जिसे भरने में लंबा वक्त लग जाएगा...वहीं अखिलेश यादव को जीत का स्वाद चखने में 12 साल और 4 चुनाव लग गए...इस जीत के साथ अखिलेश और उनका गठबंधन बेहद उत्साहित है, ऐसे में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव बीजेपी और इंडिया ब्लॉक दोनों के लिए बेहद अहम हो गए हैं...
यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं...हालांकि, अभी उपचुनाव की तारीख नहीं आई है, लेकिन दोनों गठबंधनों ने चुनाव के लिए अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है...जहां लोकसभा चुनाव नतीजों से उत्साहित समाजवादी पार्टी और इसके प्रमुख अखिलेश यादव का ध्यान पीडीए के फॉर्मूले को आगे बढ़ाने पर है...तो वहीं, सूबे की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी के सामने उपचुनावों में जीत के साथ साख बचाने की चुनौती होगी...इन उपचुनावों में दलित मतदाता KEY फैक्टर साबित हो सकते हैं...बीजेपी और सपा, दोनों ही दल दलित मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटे हैं तो वहीं उपचुनावों से दूरी बनाए रखने वाली मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी भी इस बार उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है...आपको बता दें यूपी की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंने हैं उसमें फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अयोध्या की मिल्कीपुर, मैनपुरी की करहल, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुरादाबाद की कुंदरकी व कानपुर की सीसामऊ सीटें शामिल हैं...जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से पांच सीटों पर 2022 के चुनाव में सपा के उम्मीदवार जीते थे...बीजेपी के पास तीन, निषाद पार्टी के पास एक और जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक दल के पास एक सीट थी...
देखा जाए तो यूपी की 10 सीटों का उपचुनाव कांग्रेस के नजरिए से भी अहम है...उपचुनावों को सपा-कांग्रेस गठबंधन के भविष्य के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है...कांग्रेस के किसी सीट से उम्मीदवार उतारने की संभावनाएं कम ही हैं लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी की कोशिश होगी कि उपचुनावों के बहाने 'यूपी के दो लड़कों की जोड़ी' और मजबूत हो, इंडिया ब्लॉक के वोट बेस का और विस्तार हो...खैर इस उपचुनाव में भाजपा अपना खोया हुआ जनाधार वापस ला पाती है कि नहीं और इंडिया गठंधन भी लोकसभा चुनाव की तरह ही उपचुनाव में भी कोई कमाल करती है कि ये देखना दिलचस्प होगा...
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