वनहक्क जमिनो का निपटारा करे उपमुख्यमंत्री अजित पवार

वाशिम : राज्य में 17 हजार गांव सामुदायिक वन अधिकार के पात्र हैं और अब तक 5 हजार गांवों को सामुदायिक वन अधिकार दिए जा चुके हैं। आदिवासी विकास और अन्य सभी संबंधित एजेंसियों को शेष गांवों को सामुदायिक वन अधिकार देने के संबंध में प्राथमिकता से कार्रवाई करनी चाहिए। सभी योजनाओं का लाभ वंचित आदिवासियों और गरीब समुदायों को दिया जाना चाहिए। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बैठक में निर्देश दिया कि जलगांव, धुले और नंदुरबार जिला कलेक्टर आंशिक वन अधिकारों के पात्र दावों की तुरंत सुनवाई करें और उनका निपटारा करें। वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ-साथ जलगांव, धुले और नंदुरबार जिलों के आदिवासियों के विभिन्न मुद्दों के संबंध में मंत्रालय स्थित उनके समिति कक्ष में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। माणिकराव कोकाटे, सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल, सहायता व पुनर्वास मंत्री मकरंद जाधव-पाटिल, राज्य मंत्री मेघना साकोरे-बोर्डीकर, लोक संघर्ष समिति प्रमुख प्रतिभा शिंदे, आदिवासी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मिलिंद म्हैसकर, राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे, सहायता व पुनर्वास विभाग की प्रधान सचिव विनीता वेद सिंघल, नियोजन विभाग के प्रधान सचिव सौरभ विजय, कृषि विभाग के प्रधान सचिव विकास चंद्र रस्तोगी, सहकारिता व विपणन विभाग के प्रधान सचिव प्रवीण दराडे, ग्राम विकास विभाग के प्रधान सचिव एकनाथ दावले, वित्त विभाग की सचिव शैला ए., मंत्रालय से उपमुख्यमंत्री के सचिव डॉ. राजेश देशमुख, नासिक विभागीय आयुक्त प्रवीण गेडाम, आदिवासी विकास आयुक्त लीना बनसोड़, आदिवासी अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान की आयुक्त दीपा मुधोल-मुंडे, जलगांव जिला कलेक्टर रोहन घुगे, धुले जिला कलेक्टर भाग्यश्री विस्पुते, नंदुरबार जिला कलेक्टर डॉ. मिताली सेठी उपस्थित थे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से।

रिपोर्टर : नागेश अवचार

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